विभाग का संक्षिप्त विवरण
1976 में स्थापित जीव विज्ञान विभाग के तीन भागों में विभाजित होने पर, 12 जून, 2007 को वनस्पति विज्ञान विभाग, अस्तित्व में आया, जिसका उद्देश्यत्रिपुरा राज्य के विद्यार्थियों को स्नातकोत्तर योग्यता प्रदान करना है | तत्कालीन कलकत्ता विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर केंद्र के रूप में छोटी-सीशुरुआत करने के बाद, विभाग समय के साथ-साथ आगे बढ़ा है और अब वह तीन विशेषपत्र चला रहा है, यथा, (i) कोशिका आनुवंशिकी एवं पादप जैवप्रौद्योगिकी, (ii) पादप शरीर विज्ञान एवं (iii) पादप वर्गीकरण विज्ञान एवं जैव विविधता | शैक्षणिक सत्र (2011- 2012) से एक नए और विशेष पत्र– कवकविज्ञान वपादप रोगविज्ञान को एम.एससी. के चतुर्थ सत्र के वनस्पति विज्ञान में शामिलकरने हेतु प्रस्तावित किया गया है| विभिन्न राष्ट्रीय वैज्ञानिक एजेंसियोंद्वारा अनुदानित अनेक बड़ी अनुसन्धान परियोजनाओं का दायित्व संकाय सदस्योंपर है | विभाग का एक सक्रिय संकाय है, जो अनुसन्धान उपलब्धियों को प्रकाशितकरने, पीएच.डी. विद्यार्थियों और बाँस की खेती और संसाधन उपयोग (बीसीआरयू)में स्नातकोत्तर डिप्लोमा में भाग लेने वालों के मार्गदर्शन में संलग्नहैं |
स्थापना वर्ष
2007
शोध के प्रमुख क्षेत्र
- डेवलपिंग ए डिजिटल डाटाबेस ऑन फाइटोसोर्सेस ऑफ त्रिपुरा
- साइटोलाजिकल एंड फाइटोकेमिकल स्टडीज ऑफ द सलेक्टेड टाक्सा
- असेसमेंट ऑफ प्लान्ट माइक्रोब एसोसिएसन्स इन द राइजोस्फियर ऑफ सलेक्टेड टाक्सा इन रिलेशन दु सॉयल फर्टिलिटी एंड ग्रोथ बिहैवियर ऑफ एसोसिएटेड प्लान्ट्स
- कन्जरवेशन एंड प्रोपेगेशन ऑफ बैम्बु स्पिसीज
विभागाध्यक्ष
डॉ. (सुश्री) सुरोचिता वासु