1976 में कलकत्ता विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर स्कंध के रूप में अपनी छोटी सी शुरुआत से1987 में एक राज्य विश्वविद्यालय बनने तकऔर अंत में 2007 में एक केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त करने तकत्रिपुरा विश्वविद्यालय ने विकास और उत्कृष्टता की एक उल्लेखनीय यात्रा सम्पन्न की है। यह परिवर्तनकारी विकास विशेष रूप से त्रिपुरा के इस शांत और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध राज्य में शैक्षिक और अनुसंधान के क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए हमारी अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
शून्य-प्रदूषण क्षेत्र में स्थितविश्वविद्यालय का परिसर एक सुरम्य और शांत वातावरण प्रदान करता है, जो युवा और जिज्ञासु मस्तिष्क के पोषण के लिए आदर्श है। त्रिपुरा विश्वविद्यालय गर्व से अपनी पारंपरिक शैक्षणिक जिम्मेदारियों के साथ-साथ अपने स्वदेशी कला रूपों, लोक परंपराओं और मौखिक इतिहास सहित राज्य की विविध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में अपनी भूमिका निभा रहा है।
वर्तमान मेंविश्वविद्यालय में पांच संकाय, 45 विभाग और 15 केंद्र हैं। यह समावेशी दृष्टिकोण शिक्षा की परिवर्तनकारी शक्ति के साथ क्षेत्र के हर कोने तक पहुंचने के लिए हमारे समर्पण को रेखांकित करता है।
हमारी भावी योजनाओं में उल्लेखनीय परिसर विस्तार, सभी विभागों में आईसीटी-सक्षम कक्षाओं, पुरुष वमहिला विद्यार्थियों और शोधार्थियों के लिए अतिरिक्त छात्रावास, उन्नत कैंटीन और अतिथिगृह सुविधाओंऔर दोनों के लिए विस्तारित आवास जैसी आधुनिक सुविधाओं का एकीकरण शामिल है। हम शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया को समृद्ध करने के लिए उन्नत तकनीकी उपकरणों और मल्टीमीडिया माध्यम को अपनाने पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। आधुनिक युग की उभरती मांगों के साथ तालमेल बनाए रखने के लिएविश्वविद्यालय उत्तरोत्तर ई-गवर्नेंस की ओर प्रस्थान कर रहा है जिससे कुशल, सटीक और पर्यावरणीय रूप से स्थाई प्रशासनिक क्रियाकलाप को सुनिश्चित किया जा सके।
सभी हितधारकों के निरंतर समर्थन के साथत्रिपुरा विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति – 2020 के अनुरूप स्नातक से पीएचडी स्तर तक पाठ्यक्रम को संशोधित करने के बाद शिक्षण अधिगम प्रक्रिया शुरू की है। हमने शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों दोनों के नियोजन और रिक्त पदों को भरने के कार्य में भी पर्याप्त प्रगति की है। हमनेदीक्षांत समारोह आयोजित किया है और शैक्षणिक कैलेंडर को नियमित किया है। मैं विश्वविद्यालय परिवार के सभी सदस्यों,विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के समर्थन और सहयोग के लिए आभार प्रकट करना चाहता हूं।
त्रिपुरा विश्वविद्यालय शिक्षा, नवाचार और सांस्कृतिक संरक्षण के माध्यम से इस क्षेत्र के लोगों को सशक्त बनाने के अपने अभियान में दृढ़संकल्पित है तथा इस भूमिआबद्ध राज्य में ज्ञान और प्रगति के प्रतीक के रूप में अपनी भूमिका को पूरा कर रहा है।
शुभकामना सहित,
प्रो.गंगा प्रसाद प्रसाईं
कुलपति
त्रिपुरा विश्वविद्यालय