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दूरस्थ शिक्षा

निदेशालय का संक्षिप्त विवरण

मल्टी मीडिया एप्रोच के साथ दूरस्थ विधि के माध्यम से उच्च शिक्षा प्रदान करने के लिए सन 1996 ई. को दूरस्थ शिक्षा निदेशालय की स्थापना की गई थी। जैसा कि ज्ञात है कि यह अनौपचारिक, शिक्षा की पूरक विधि, या दूरस्थ शिक्षा पारम्परिक औपचारिक शिक्षा पद्धति से अलग है तथा इसका उद्देश्य है पहुँच से बाहर तक पहुँचना, दूर-दराज के लोगों को जोड़ना। यूजीसी के अनुमोदन से त्रिपुरा विश्वविद्यालय ने लगातार दूरस्थ शिक्षा को प्रोन्नत किया है तथा दूरस्थ शिक्षा परिषद, नई दिल्ली के निर्देशानुसार विभिन्न पृष्ठभूमि के छात्रों जिनमें 1.ऐसे छात्र जिन्हें आर्थिक या अन्य परिस्थितियों के कारणवश उनके नियमित शिक्षा को स्थगित करना पड़ा। 2. ऐसे छात्र जो भौगोलिक दूरस्थ क्षेत्रों में रहते है, 3. ऐसे छात्र जिनको योग्यता की कमी या प्रेरणा की कमी से अपनी नियमित शिक्षा बंद करनी पड़ी तथा बाद में वे शिक्षा प्राप्त करने के लिएप्रेरित हुए। 4. नौकरी पेशा व्यक्ति या गृहणी आदि की आवश्यकताओं की पूर्ति का प्रबंध किया गया। वर्तमान में इस दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के अधीन 3690 छात्र अध्ययन कार्य कर रहे हैं, जो त्रिपुरा विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय की लोकप्रियता तथा विश्सनीयता का आम जनता के मध्य तथा विशिष्ट रुप से इस राज्य के छात्रों के बीच लोकप्रियता का सूचक है।

स्थापना का वर्ष

1996

निदेशक (I/C)

डॉ निर्मल रियांग

उप पंजीयक

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