विभाग का संक्षिप्त परिचय
बांग्ला विभाग की स्थापना वर्ष 1977 में तत्कालीन कलकत्ता विश्वविद्यालय केस्नातकोत्तर केन्द्र में हुई थी। जब वर्ष 2007 में त्रिपुरा विश्वविद्यालय की स्थापना हुईतब यह विभाग कला और वाणिज्य संकाय के अंतर्गत महत्त्वपूर्ण विभाग बना
- प्रस्तावित शैक्षिक एवं शोध कार्यक्रम।
- पाठ्यक्रम और शोध कार्यक्रमों हेतु प्रमुख क्षेत्र:प्राचीन,मध्यकालीन तथा आधुनिक साहित्य और भाषा,त्रिपुरा तथा पूर्वोत्तरऔर बांग्लादेश के साहित्य की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि। शोधकार्यक्रम सहित मध्यकालीन और आधुनिक बांग्ला उपन्यास, लघु कथाएँ, कविता, नाटक, लोक साहित्य, भाषा विज्ञान, टैगोर अध्ययन, जनजातीय साहित्य और भाषा (कोकबोरॉक)।
- विभाग का विशेष योगदान : त्रिपुरा की प्रमुख जनजातीय भाषा कोकबोरॉक मेंबांग्ला विभाग के द्वारा उपाधिपत्र-पाठ्यक्रम प्रारम्भ किया गया (अभीकोकबोरॉक अलग विभाग के रूप में गाँधीघाट अगरतला में पढ़ाया जाता है)।त्रिपुरा के क्षेत्रीय इतिहास, संस्कृति और साहित्य पर शोध कार्य चल रहाहै।
- स्वीकृत पद- दो प्राध्यापक, दो रीडर तथा पाँच सहायक प्राध्यापक।
- नया पाठ्यक्रम (सेमेस्टर पद्धति) सत्र 2008 से प्रस्तावित किया गया है।
- स्थान, शिक्षक आदि की सीमित व्यवस्थाओं की आधारभूत संरचना के कारणऑनर्स के साथ उतीर्ण बड़ी संख्या में छात्रप्रवेश नहीं पा पाते हैं तथापिअनेक जनजतीय छात्र प्रत्येक वर्ष बांग्ला साहित्य अध्ययन हेतु चुन रहे हैं।
- कु. पद्मकुमारी चकमा, जनजातीय छात्रा ने वर्ष 2005 में प्रथम स्थान प्राप्त किया साथ ही वह नेट तथा जेआरएफ भी उत्तीर्ण हुई ।
- आरईटी परीक्षा भी वर्ष 2008 से इस विभाग में प्रारम्भ की गई।
स्थापना वर्ष
1977
विभागाध्यक्ष (प्रभारी)
डॉ . निर्मल दास
शोध हेतु प्रमुख क्षेत्र
- लोक अध्ययन
- मध्यकालीनअध्ययन
- जनजातीयअध्ययन
- टैगोरअध्ययन
- गल्प
- लिंगअध्ययन