प्रो. मोहन देबबर्मा
विभाग प्रमुखविभाग का संक्षिप्त परिचय
त्रिपुरा विश्वविद्यालय के अधीनदर्शनशास्त्र विभाग ने अपनी यात्रा जुलाई,सन् 1994 में 40 छात्रों की प्रवेश क्षमता व 5 अतिथि शिक्षकों के साथप्रारम्भ की। बाद में इसे विस्तारित किया गया। वर्तमान में, यहाँ प्रवेशक्षमता 80 होने के साथ ही 6 नियमित संकाय सदस्य हैं। विभाग के छात्रों का शैक्षिक प्रदर्शनबहुत ही उत्कृष्ट है। प्रत्येक शैक्षिक वर्ष में 95 प्रतिशत से भी अधिक छात्रउत्तीर्ण होते हैं। जिनमें से कम से कम 30 प्रतिशत छात्र 55 प्रतिशत से अधिकअंक प्राप्त करते हैं। दो छात्रवृत्ति प्राप्त छात्र पीएच.डी. उपाधि सेसम्मानित हैं तथा तीन छात्र पीएच.डी. उपाधि के लिए शोध पत्र जमा कर चुके हैं। इसके अतिरिक्त 10 छात्र विभाग में पीएच.डी. कार्य में संलग्न हैं। तीनछात्र यूजीसी द्वारा संचालित नेट परीक्षा उत्तीर्ण हो चुके हैं तथाएक छात्र स्लेट पात्रता प्राप्त कर चुकाहै। ये सभी त्रिपुरा के विभिन्न सरकारी महाविद्यालयों मेंलोक सेवा आयोग के माध्यम से बतौर सहायक प्राध्यापक चुनकर समायोजित किए जाचुके हैं। विभाग ने सामूहिकतथा व्यक्तिगत दोनों रूपों से राज्य, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संगोष्ठी, परिचर्चा, व्याख्यान कीव्यवस्था तथा आयोजन किया है जो इस प्रकार है – 1) वर्ष 2005 में त्रिपुराविश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग तथा विश्व निम्बार्क परिषद् के सामूहिकसहयोग से निम्बार्क दर्शन और विश्व शान्ति पर संगोष्ठी2) वर्ष 2006 मेंत्रिपुरा विश्वविद्यालय के अंग्रेजी, बांग्ला और संस्कृत विभागों के सहयोगसे ‘मिंगल्ड वॉयस: साहित्य और दर्शन’ पर राष्ट्रीय संगोष्ठी3) भारतीयदर्शन अनुसंधान परिषद् द्वारा वर्ष 2008 में प्रायोजित श्रीमद्भगवतगीता, स्वामीविवेकानन्द और महात्मा गांधी के विशेष सन्दर्भ के साथ ‘भारतीय संस्कृति केआधारभूत मूल्यों तथा उनकी राष्ट्र के पुनर्निर्माण में प्रासंगिकता’ विषय परराष्ट्रीय सम्मेलन। विभाग शिक्षक दिवस के अवसर पर प्रत्येक वर्ष महान शिक्षक और दार्शनिक एस.राधाकृष्णन के जन्म दिवस को मनाने केलिए विभिन्न संगोष्ठी, वादविवाद तथा व्याख्यान कार्यक्रमों का आयोजन करताहै। विभागद्वारा ‘प्रत्यय’ के नाम से एक विभागीय पत्रिकाका प्रकाशन भी किया जाता है।
शोध हेतु प्रमुख क्षेत्र
भारतीय दर्शन, नीति, पाश्चात्य दर्शन, धर्म एवं संस्कृत का दर्शन
स्थापना वर्ष
1994
विभागाध्यक्ष
प्रो. मोहन देबबर्मा