डा. बिमल देबनाथ
विभाग प्रमुखविभाग का संक्षिप्त विवरण
भारत की विस्तृत एवं समृद्ध जैवविविधता संबंधी जरूरतों को पूरी करने तथा वन्यउत्पाद संबंधी उद्योगों एवं वाणिज्य के संबंध में शिक्षण, शोध, परामर्श तथा प्रसार गतिविधियों के प्रकाशन हेतु विश्वस्तरीय वानिकी पेशेवरों को तैयार करने के लिए वानिकी एवं जैवविविधता विभाग विज्ञान संकाय के अंतर्गत खोला गया। वानिकी में स्नातकोत्तर कार्यक्रम करने वाले छात्र बाजार की जरूरत को पूरी करेंगे साथ में वानिकी के शैक्षिक/शोध के क्षेत्र को भी बढ़ावा देंगे। प्रबंधन के प्रयोग और संबंधित तकनीकियों और प्रविधियों द्वारा देश में वनसंदा के विकास हेतु वानिकी और जैवविविधता संबंधी मुद्दों के विभिन्न पहलुओं पर शोध कार्य में सहयोग, संस्थापन और संचालन का भी प्रस्ताव है। विभाग समसामयिक मुद्दों जिनमें जलवायु परिवर्तन, जैवविविधता का संरक्षण, वेटलैंड्स, संसाधनों का धारिणीय प्रबंधन तथा विकास जैसी वैश्विक चिन्ताएँ शामिल है,परउपाय आधारित वानिकी शोध को प्रारंभ करने के प्रयास में है। विभाग उपयोगकर्ताओं जैसे किसानों/पुष्पउत्पादकों, राज्य वन विभाग तथा विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं को प्रौद्योगिकी स्थानांतरण में भी सहयोग प्रदान करता है। विभाग सिल्वीकल्चर एवं एग्रोफॉरेस्ट्री, ट्री ब्रीडिंगएवं फॉरेस्ट जेनेटिक रिसोर्सेस तथा फॉरेस्ट प्रोडक्ट्स एंड यूटीलाइजेशन जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञता प्रदान करता है।.
दृष्टि
वानिकी एवं जैवविविधता संरक्षण एवं प्रबंधन के क्षेत्र में उत्कृष्ट केन्द्र के रूप में उभरना है।
हमारा लक्ष्य
- वानिकी शिक्षा, शोध एवं उनके अनुप्रयोग के क्षेत्र में सहयोग, प्रोत्साहन वं समन्वय स्थापित करना।
- आवश्यकता आधारित वानिकी शिक्षण, शोध एवं प्रसार गतिविधियों की ओर क्रमिक रूप से बढ़ना।
- उत्कृष्ट एवं विलक्षण वानिकी पेशेवरों का विकास वानिकी और जैवविविधता संरक्षण एवं प्रबंधन के क्षेत्र में करना।
स्थापना वर्ष
2011
समन्वयक:
डा. बिमल देबनाथ