रबर प्रौद्योगिकी

Coordinator of the centre:

Prof. Utpal Chandra De

Coordinator of the centre

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 Message from Coordinator:


Tripura University (A Central University) has taken a lead in the North-Eastern region to offer job oriented Vocational 03 years Degree Program on Rubber Technology. The B. Voc Rubber Technology Program is designed to produce students for job through in-depth theory classes and hands-on skill based training via on job training and Industrial exposures. Our students have placed in different industries and institutions viz. JK Tyres & Industries, Mysuru, Royal Elastomers Pvt. Ltd., Raipur, Asia Filatex, Agartala, Brite Rubber Processor Pvt. Ltd. etc. Students get training at Rubber Board Agartala, Rubber Research institute of India, Kerala, Rubber Training Institute, RRII, Kerala, IRMRA, Thane, Maharashtra, Rubber Technology Centre, IIT Kharagpur, Puja Fluid Seals Pvt. Ltd., Pune and so on.

This Course is approved by UGC, New Delhi and is equivalent to any Degree Program. Students can go for any Government jobs where minimum required qualification is Bachelor Degree. After successful completion of B. Voc in Rubber Technology students can join in Masters Degree in Polymer Chemistry in JIS University, Kolkata

I welcome all the students to be a part of this vibrant course on Rubber Technology with positive attitude to transform your personality and build a bright prospective career in Rubber and Allied field. Our motto is to make you fly high with full of confidence and attitude on the wings of Skill.

 
 

संक्षिप्त परिचय :

विश्वविद्यालय का रबर प्रौद्योगिकी केन्द्र रबर को कच्चे माल (रॉ मटेरियल) से उसे उपयोगी वस्तु बनाने संबंधी प्रौद्योगिकी की जानकारी छात्रों को उपलब्ध कराते हैं, यथा - ऑटोमोबाइल टायर, ऑटोमोटिव पार्ट्स, कंवेयर बेल्ट्स, होसेस, रबर मैट, बैलून, शूज, रबर बैंड, इरेजर इत्यादि जैसे प्रोडक्ट शामिल हैं। ये सारे सामान रबर के विभिन्न रूपों से निर्मित होता है जिनमें प्राकृतिक रबर लेटैक्स, सिंथेटिक रबर लेटैक्स, प्राकृतिक रबर, सिंथेटिक रबर इत्यादि शामिल हैं। इन रॉ रबर मटेरियल के उपयोग से वृहद स्तर पर विभिन्न उत्पादों का निर्माण होता है।

जानकारी के क्रम में सबसे महत्वपूर्ण है प्राकृतिक रबर, वैश्विक स्तर पर जिसका उपभोग 45फीसदी होता है। प्राकृतिक रबर महत्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक दायित्व का निर्वहन करते हैं। प्राकृतिक रबर के उत्पादन से उत्पादक को बेहद आर्थिक लाभ होता है। प्रकृति प्रदत्त होने की वजह से प्राकृतिक रबर पर समसामयिकी वातावरण का प्रभाव अधिक पड़ता है जिससे इसके गुण में भिन्नता आ जाती है। प्राकृतिक रबर में एक विशेष गुण क्रिस्टेलाइजेशन का होता है जो कि इसे अद्वितीय तौर पर मजबूती प्रदान करता है। इसकी उपयोगिता एवं महत्ता के मद्देनज़र इसका वैश्विक अर्थव्यवस्था पर अनूकुल प्रभाव देखा गया है। वर्ष 2014-15 के एर आंकड़े के अनुसार भारत में रबर उद्योग का प्रति वर्ष टर्नओवर करीब 32 हजार करोड़ रु. का है तथा जिसमें प्रति वर्ष 8 फीसदी का इजाफा हो रहा है। प्राकृतिक तथा सिंथेटिक रबर के मामले में भारत विश्व का तीसरा सर्वाधिक उत्पादक तथा पांचवा सबसे बड़ा उपभोग कर्ता देश है। यह उपने रक्षा क्षेत्र (यथा- सिविल, एविएशन, एरोनॉटिक्स आदि), रेलवे, कृषि, ट्रांसपोर्ट, कपड़ा उद्योग, फर्मास्यूटिकल्स, माइन्स, प्लांट्स पोर्ट्स, फैमिली प्लानिंग कार्यक्रम, हॉस्पिटल्स तथा स्पोर्ट्स आदि से संबंधित क्षेत्रों की मांगों को पूरा करता है। निर्यात के मामले में भी रबर का देश में महत्वपूर्ण योगदान है।

रबर उत्पादन के मामले में त्रिपुरा का देश में केरल के बाद दूसरा स्थान है। त्रिपुरा में उच्च गुणवत्ता के रबर का उत्पादन होता है। प्राकृतिक कई रबर उत्पादक वृक्षों में हीव ब्रैसिलिनसिस सबसे कम खर्चीला पेड़ है जो बेहद उपयोगी होता है। इस पेड़ को त्रिपुरा के वन विभाग द्वारा वर्ष 1963 में पहली बार लगाया गया था।

वर्ष 2010-11 के आंकड़ों के अनुसार त्रिपुरा में करीब 11,673 हेक्टेयर्स भूमि पर रबर की खेती होती है जिसे सरकार विस्तारित कर वर्ष 2025-26 तक 85,094 हेक्टेयर भूमि तक फैलाना चाहती है। इन पेड़ों से प्राकृतिक रूप में प्राप्त रबर लेटेक्स को संग्रहित कर देश से बाहर निर्यातित किया जाता है। हमारे देश में रबर का निर्यात कई प्रकार से होता है जिसमें लेटेक्स से रिब्ड स्मोक्ड शीट (आरएसएस) भी शामिल हैं। इन आरएसएस को देश के कई अन्य राज्यों को भी भेजा जाता है ताकि वे वहां इनमें गुणात्मक संवृद्धि कर सके तथा इसे पूर्ण विकसित पदार्थ के तौर पर तैयार कर सके। चूंकि, त्रिपुरा राज्य में रबर की खेती यहां के अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है तथा यहां के आर्थिक विकास में रबर महत्वपूर्ण स्थान रखती है। त्रिपुरा सरकार अपने यहां रबर संबंधी उद्योग स्थापित करने के लिए उद्योगजगत को प्रोत्साहित करती है ताकि यहां रबर के बेहतर से बेहतर उत्पाद बन सके तथा देश के बाहर निर्यात हो सके तथा देश के भीतर के अन्य राज्यों में उसकी आपूर्ति संभव हो सके और इस प्रकार से त्रिपुरा के आर्थिक विकास में रबर का महत्वपूर्ण योगदान सुनिश्चित हो सके। भारत में करीब 40मिलियन लोग रबर प्रौद्योगिकी उद्योग से जुड़े हुए हैं जिनके परिवार का भरण-पोषण उक्त उद्योग के माध्यम से होने वाले आय से होता है।इतना ही नहीं, उक्त उद्योग के माध्यम से भारत सरकार को प्रत्येक वर्ष 40 बिलियन से अधिक की आय विभिन्न करों के माध्यम से होती है। रबर से जुड़े कुछ उद्योग त्रिपुरा में पहले से स्थापित हैं जो ग्लव्स, फूटवेयर इत्यादि के निर्माण में लगे हुए हैं, तथा कुछ नए उद्योगों के त्रिपुरा में जल्द लगने वाले हैं। इन उद्योगों को प्रशिक्षित मानव शक्ति की आवश्यकता है। इन उद्योग जगत के लिए प्रशिक्षित मानव शक्ति की आवश्यकता के अनुरूप विश्वविद्यालय का यह पाठ्यक्रम समुचित है जो कि आवश्यकतानुसार उद्योगों को मानव शक्ति उपलब्ध करवाता है।

भारत में करीब 450 मिलियन नौकरी में से केवल 10 फीसदी ही ऐसे कार्मिक हैं जिन्हें औपचारिक या अनौपचारिक वोकैशनल ट्रेनिंग उपलब्ध कराई गई है अन्य 90 फीसदी लोगों को किसी प्रकार की कोई वोकैशनल ट्रेनिंग नहीं दी गई है (श्रम ब्यूरो, भारत सरकार)। लेकिन, विकसित देशों में यही प्रशिक्षण का स्तर कुल उपलब्ध मानव-शक्ति का 75 फीसदी होता है।

उक्त के मद्देनज़र, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), भारत सरकार ने उच्च शिक्षा आधारित जो कि महाविद्यालयों/ विश्वविद्यालयों के स्तार पर प्रशिक्षित करने संबंधी होगा, हेतु स्नातक स्तरीय व्यावसायिक पाठ्यक्रम (बी. वोक.) प्रारंभ किया है।

इसी क्रम में त्रिपुरा विश्वविद्यालय द्वारा वर्ष 2015 में अपने नियमित अकादमिक पाठ्यक्रम के अंतर्गत रबर प्रौद्योगिकी में बी. वोक पाठ्यक्रम प्रारंभ किया गया। उक्त पाठ्यक्रम में दाखिलें के लिए लिए यूजीसी द्वारा 50 सीट आवंटित की गई। 50 छात्रों के साथ विश्वविद्यालय में प्रारंभ की गई उक्त पाठ्यक्रम का उद्देश्य है कि वह उक्त पाठ्यक्रम के माध्यम से प्रदेश में अधिकाधिक रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए। अपने छात्रों को समुचित प्रशिक्षण उपलब्ध कराकर उन्हें स्वरोजगारोन्मुख अथवा उद्यमी बना सके। उक्त पाठ्यक्रम में बहुस्तरीय एंट्री-एक्जिट का विकल्प है जो कि विशिष्ट जॉब रोल्स, क्यूपी, एवओएस इत्यादि के साथ सामान्य शिक्षा उपलब्ध करवाता है। उक्त पाठ्यक्रम में दाखिला लेने वाला छात्र यदि चाहे तो वह प्रवेश के एक वर्ष के बाद पाठ्यक्रम को छोड़ सकता है, इससे उसे रबर प्रौद्योगिकी में ‘डिप्लोमा’ प्रमाणपत्र हासिल होगा। ऐसे छात्र जो दो वर्ष के बाद पाठ्यक्रम छोड़ना चाहता है उसे रबर प्रौद्योगिकी में ‘एडवांस्ड डिप्लोमा’ प्रमाणपत्र से नवाजा जाएगा। लेकिन, जिन छात्र ने तीन वर्ष तक इस पाठ्यक्रम को सुचारू रूप से किया है उन्हें रबर प्रौद्योगिकी में बी. वोक. की डिग्री दी जाएगी जो कि स्नातक स्तरीय डिग्री होगी। वी. वोक. का संपूर्ण पाठ्यक्रम 06 सेमेस्टर का है। यह पाठ्यक्रम उच्च प्रायोगिक तथा जॉब ओरिएंटेड है जिसमें छात्रों को समुचित प्रशिक्षण देने का भी प्रावधान है। विश्वविद्यालय ने इस पाठ्यक्रम से संबंधित एमओयू एनएसडीसी, आरएसडीसी, आरआरआईआई, कोट्टायम तथा एआईआरआईए के साथ हस्ताक्षरित किया है तथा विश्वविद्यालय इस दिशा में और बेहतर कार्य करने के उद्देश्य से एटीएमए, आईआरएमआरए के साथ एमओयू हस्ताक्षरित करेगा जो कि अकादमिक तथा औद्योगिक सहयोग के लिए काफी लाभप्रद साबित होगा।

रबर प्रौद्योगिकी में बी.वोक. करने वाले छात्रों को देश के ख्यातिप्राप्त रबर उद्योगों का परिभ्रमण कराया जाता है जिनमें कुछ के नाम इस प्रकार से हैं – एमआरएफ, के आर इंडस्ट्रीज, जेके फेनर, टेयलर्स रबर प्रा. लि., संत मैरी रबर प्रा. लि., एल एंड पी ट्रेड्स, रुबेक रबर्स, रबरराइज्ड कोयर मैट्रेस मैनुफैक्चरिंग इंडस्ट्री –‘रुबको’, बैंकदथु रबर बैंड इंडस्ट्री इत्यादि।छात्रों को प्रशिक्षण हेतु विभिन्न संस्थानों यथा – आरआरआईआई, कोट्टायम, रबर रिसर्च स्टेशन, अगरतला, आईआरएमआरए, थाणे, रबर टेक्नोलॉजी सेंटर, आईआईटी खड़गपु, आईआईई गुवाहाटी इत्यादि जगहों पर उनके सेमेस्टर के दौरान प्रशिक्षण दिलाया गया है। उक्त पाठ्यक्रम के छात्रों को पाठ्यक्रम से संबंधित विभिन्न सम्मेलनों में भी सहभागिता करने का अवसर मुहैया कराया जाता है। उक्त पाठ्यक्रम से संबंधित इंटर्नशिप के लिए विभिन्न उद्योगों यथा – जेके टायर एंड इंडस्ट्रीज/हेसेट्री, मैसूर, पूजा फ्लूड सील्स प्रा. लि., पुणे, रॉयल इलैस्टोमर्स प्रा. लि. तथा होल्डवेल कंपोनेंट्स प्रा. लि., रायपुर के साथ कोलैबोरेशन किया गया है। छात्रों के प्रशिक्षण एवं नियोजन के लिए विभिन्न संस्थानों यथा – एनएसडीसी, आरएसडीसी, आरआरआईआई, एआईआरआईए इत्यादि के साथ एमओयू हस्ताक्षरित किया गया है। आरएमआरए तथा एटीएमए के साथ एमओयू हस्ताक्षिरत होने संबंधी कार्रवाई प्रक्रियाधीन है।

आईआरआईए के साथ एमओयू :

दिनांक 16 नवंबर, 2016 को राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में आयोजित कुलपतियों के सम्मेलन में श्री प्रणब मुखर्जी, महामहिम राष्ट्रपति, भारत की उपस्थिति में प्रो. अंजन कुमार घोष, माननीय कुलपति, त्रिपुरा विश्वविद्यालय तथा श्री कमाल कुमार चौधुरी, अध्यक्ष, एआईआरआईए के मध्य एमओयू हस्ताक्षरित कर आदान-प्रदान किया गया।

पुरस्कार एवं उपलब्धि :

भारत में सिर्फ त्रिपुरा विश्वविद्यालय को रबर स्किल डेवलपमेंट काउंसिल की ओर से विभिन्न उद्योगों के साथ टाइ-अप करने हेतु पुरस्कृत किया गया। इससे संबंधित विशेष पुरस्कार त्रिपुरा विश्वविद्यालय के मानननीय कुलपति, प्रो. अंजन कुमार घोष को दिनांक 22 सितंबर, 2016 को आरएसडीसी अवार्ड के अवसर पर प्रदान किया गया।

आधारभूत संरचना संबंधी :

छात्रों के लिए दक्षता आधारित प्रशिक्षण :

प्रथम दो बैच के पासआउट हुए छात्रों को 100% नियोजित किया जा चुका है तथा तृतीय बैच के छात्रों को एरिस्टो टेक्सॉन प्रा.लि., रबर पार्क, त्रिपुरा में इंटर्नशिप कराया जा रहा है।

विभिन्न संस्थानों तथा उद्योगों में आयोजित प्रशिक्षण की सूची निम्न प्रकार से है :

➤ आरआरआईआई, कोट्टायम, केरल
➤ रबर टेक्नोलॉजी सेंटर, आईआईटी खड़गपुर
➤ आईआरएमआरए, थाणे, महाराष्ट्र
➤ जेके टायर एंड इंडस्ट्रीज, मैसूर
➤ पूजा फ्लूड सील्स प्रा. लि. पुणे
➤ रॉयल इलैस्टोमर्स प्रा. लि. रायपुर
➤ इंपायर पॉलिमर्स, औरंगाबाद
➤ एरिस्टो टेक्सकॉन प्रा. लि., रबर पार्क, त्रिपुरा
➤ मलाया रब टेक, रबर पार्क, अगरतला, त्रिपुरा
➤ ब्राइट रबर प्रोसेसर प्रा. लि., रबर पार्क अगरतला, त्रिपुरा

उच्च शिक्षा में अवसर :

जेआईएस विश्वविद्यालय, कोलकाता जो कि बड़ी तेजी से ख्याति प्राप्त करने वाले विश्वविद्यालयों में शुमार है तथा उच्च शिक्षा एवं शोध के लिए उपयुक्त स्थान है, के साथ उच्च शिक्षा के लिए एमओयू हस्ताक्षर संबंधी कार्रवाई प्रक्रियाधीन है। उक्त विश्वविद्यालय ने हमारे बी.वोक. के छात्रों को अपने यहां बहुलक रसायन में एम.एससी. पाठ्यक्रम में प्रवेश दिया है। इस वर्ष हमारे कुछ छात्रों ने उक्त विश्वविद्यालय में बहुलक रसायन में एम.एससी. पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया है।

स्थापना वर्ष:

2015

केन्द्र के समन्वयक :

प्रो. आर. के. नाथ

 

कुल विजिटर्स की संख्या : 4831627

सर्वाधिकार सुरक्षित © त्रिपुरा विश्वविद्यालय

अंतिम अद्यतनीकरण : 29/03/2024 02:03:06

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